फिलहाल गांव में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल के साथ आरएएफ की तैनाती कर दी गई है. लेकिन सवाल ये है कि पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी के रहते आखिर दलित समुदाय के लोग पलायन करने को क्यों मजबूर हैं?
पुलिस चौकी में लगाई थी आग
बता दें कि कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान जो हिंसा हुई थी उसमें मेरठ के कंकरखेड़ा थाने की शोभापुर पुलिस चौकी को फूंक दिया गया था. जिसके बाद पुलिस ने इलाके में जमकर लाठीचार्ज भी किया था और बाद में हिंसा के आरोप में कई लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए.
मायावती ने लगाया फंसाने का आरोप
इस संबंध में 8 अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर दलितों को फंसाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि बीएसपी की सरकार आने पर ऐसे केस वापस किए जाएंगे. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी सांसद उदित राज ने भी माना है कि 2 अप्रैल की घटना के बाद दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए थे.
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